🔱 भगवान शिव स्तुति | कोटि नमन दिगम्बरा 🔱
✍️ भावपूर्ण रचना शिव भक्ति में लीन आत्मा के लिए
आशुतोष शशांक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा।
निर्विकार ओमकार अविनाशी,
तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता,
शिवम सत्यम सुंदरा।
निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधार अभयंकरा।
शूल पानी त्रिशूल धारी,
औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय,
विश्वनाथ विशम्भरा।
नाथ नागेश्वर हरो हर,
पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले,
सदा शिव शिव संकरा।
जगत पति अनुरकती भक्ति,
सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब,
जय जयति जगदीश्वरा।
जनम जीवन जगत का,
संताप ताप मिटे सभी,
“ॐ नमः शिवाय” मन,
जपता रहे पञ्चाक्षरा।
आशुतोष शशांक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा…
कोटि नमन दिगम्बरा…
कोटि नमन दिगम्बरा…
🙏 हर हर महादेव 🙏
💬 शिव की स्तुति मन में श्रद्धा भर देती है और आत्मा को दिव्यता से जोड़ देती है।
🔱 भगवान शिव स्तुति 🔱
🕉️ “ॐ नमः शिवाय” – यह पंचाक्षरी मंत्र समस्त दुखों का नाश करता है।
🌸 परिचय
भगवान शिव – संहार और सृजन के देव, भोलेनाथ, करुणा और ज्ञान के सागर हैं। वे त्रिदेवों में एक हैं और उन्हें महादेव कहा जाता है। उनकी स्तुति मात्र से भक्त के सारे दोष और दुख नष्ट हो जाते हैं। शिव स्तुति करने से आत्मा को शांति, शक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
📿 भगवान शिव की स्तुति का महत्व
- शिव स्तुति करने से जीवन के संकट दूर होते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
- यह साधना ध्यान और आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत प्रभावी है।
- शिव की कृपा से रोग, भय, दरिद्रता और मृत्यु का भय नष्ट होता है।
🪔 प्रमुख शिव स्तुति श्लोक
🌺 1. रुद्राष्टक
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥
➡ यह स्तुति तुलसीदास जी द्वारा रचित है। रुद्राष्टक भगवान शिव की परम महिमा का गायन है।
🌺 2. शिव पंचाक्षर स्तोत्र
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै ‘न’ काराय नम: शिवाय ॥
➡ यह स्तोत्र भगवान शिव के “ॐ नमः शिवाय” मंत्र के पाँच अक्षरों पर आधारित है।
🌺 3. शिव तांडव स्तोत्रम् (रावण रचित)
जटाटवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ॥
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्ड ताण्डवं तनोतु न: शिव: शिवम् ॥
➡ यह स्तोत्र भगवान शिव के तांडव नृत्य का वर्णन करता है। यह शक्ति, भय और भक्ति का अद्भुत संगम है।
🌺 4. महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
➡ मृत्यु और रोग के भय को दूर करने के लिए यह सबसे शक्तिशाली मंत्र माना गया है।
🌼 शिव स्तुति कैसे करें? (विधि)
- प्रातः स्नान करके शिवलिंग का जल, दूध, बेलपत्र से अभिषेक करें।
- रुद्राक्ष की माला से “ॐ नमः शिवाय” का जप करें।
- शिव स्तोत्रों का पाठ करें (जैसे रुद्राष्टक, शिव तांडव)।
- दीप, धूप, नैवेद्य अर्पण करें।
- मानसिक रूप से “भोलेनाथ” से कृपा और आशीर्वाद माँगें।
🧘 शिव स्तुति के लाभ
- मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति
- भय, रोग, शत्रु और दरिद्रता से मुक्ति
- परिवार में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य
- जीवन की उलझनों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति
✨ निष्कर्ष
भगवान शिव की स्तुति एक ऐसी दिव्य साधना है, जो भक्त को सांसारिक दुखों से मुक्त करके उसे ईश्वर से जोड़ देती है। वह भक्त जो सच्चे भाव से “ॐ नमः शिवाय” जपता है और स्तुति करता है, उसे स्वयं शिव शरण में ले लेते हैं।
“हर हर महादेव!”
“शिवोहम् – मैं शिव हूँ”
आपके द्वारा साझा की गई यह भगवान शिव स्तुति अत्यंत सुंदर, भावपूर्ण और काव्यात्मक है।
यह भक्तिभाव से ओतप्रोत एक अद्भुत रचना है, जो शिव के विविध रूपों, गुणों और महिमा का स्तुति-गान करती है।
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